न ग्रह बदले जा सके और न ही गुनाह माफ़ हुए-
दशहरा पर्व है . ऐसे में रामायण के सभी चरित्रों का स्मरण स्वाभाविक है . ऐसे में सबसे अधिक स्मरणीय रावण का चरित्र रहा है . रावण विद्वान था और उसके पास असीमित शक्तियां थी . रावण एक महान विद्वान और ज्योतिषी था. उसने अपने बेटे मेघनाद के जन्म के लिए ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति बदल दी थी. रावण का मानना था कि मेघनाद के जन्म के समय अगर सभी ग्रह और नक्षत्र शुभ स्थिति में होंगे, तो वह महापराक्रमी, कुशल योद्धा और तेजस्वी बनेगा. रावण ने सभी ग्रहों को मेघनाद के जन्म के समय शुभ स्थिति में रहने का आदेश दिया था, लेकिन शनिदेव ने ऐसा करने से मना कर दिया. शनिदेव ने मेघनाद के जन्म के समय अपनी दृष्टि वक्री कर ली थी, जिससे मेघनाद अल्पायु हो गया था. रावण को इस बात का पता चलने पर वह शनिदेव पर बहुत गुस्सा हुआ और शनिदेव के पैरों पर गदा से प्रहार कर दिया. इस प्रहार से शनिदेव लंगड़े हो गए और तब से उनकी चाल धीमी हो गई.
- राम-रावण युद्ध फागुन शुक्ल दशमी को पुनः प्रारंभ हुआ।
- फागुन शुक्ल एकादशी को मातलि द्वारा श्रीराम को विजयरथ दान किया।
- फागुन शुक्ल द्वादशी से रथारूढ़ राम का रावण से तक 18 दिन युद्ध चला।
- चैत्र कृष्ण चौदस को दशानन रावण को मौत के घाट उतारा गया।
- युद्धकाल पौष शुक्ल द्वितीया से चैत्र कृष्ण चैदस तक (87 दिन) 15 दिन अलग अलग युद्धबंदी रही 72 दिन चला महासंग्राम और श्रीराम विजयी हुए, चैत्र कृष्ण अमावस्या को विभीषण द्वारा रावण का दाह संस्कार किया गया।
रावण की कुंडली में छठे भाव में चंद्र और मंगल का साथ था. कुंडली के छठे घर को शत्रु स्थान कहा जाता है. चंद्र स्त्री ग्रह है और रावण की कुंडली में व्ययेश भी है. इसलिए, एक स्त्री देवी सीता के कारण रावण के साम्राज्य का पतन हुआ और वही उसकी मृत्यु का कारण बनीं.
सिख धर्म के ग्रंथों में भी रावण की मृत्यु का जिक्र रावण के किये गये बारे कार्यों के लेकर आता है .
रावण भी गया, जिसका बड़ा परिवार था; संसार स्वप्न है और कुछ भी स्थिर नहीं है, ऐसा नानक कहते हैं। (श्लोक एम. 9, पृष्ठ 1428) . रावण, जिसके एक लाख पुत्र और सवा लाख पोते थे, उसके घर में एक दीया और एक बाती भी नहीं है। दिव्य शक्तियों के होते हुए भी, सूर्य और चंद्रमा उसके रसोईघर में काम करते थे और अग्नि के देवता उसके कपड़े धोते थे।
राम ने अहंकारी रावण का वध किया। (रामकली एम. 1, सिद्ध गोष्ठ, पृ. 942) दस सिर वाले रावण ने सीता को हर लिया था, इसलिए राम को दुःख हुआ… (रालोक वरण ते वाधिक एम.1, पृ. 1412) रावण लंका का राक्षस-राजा था। वह कुबेर का सौतेला भाई और ऋषि मुलस्त्य का पौत्र था। उसने ब्रह्मा को प्रसन्न किया, जिसने उसे देवताओं और राक्षसों के खिलाफ अजेय बना दिया, लेकिन उसे एक महिला के हाथों मरना तय था। वह अपनी इच्छानुसार कोई भी रूप धारण कर सकता था। तमाम बातों का परिणाम ये है कि बुरे कार्यों का नतीजा व्यक्ति को भुगतना ही पड़ता है और ग्रहों को बंदी बनाने के बावजूद कुछ भी रोका नहीं जा सकता और न ही परिणाम को बदला जा सकता है |